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The Power of Meditation in Hindi : What are 7 Benefits of Meditation in Hindi !

    हम सब एक अच्छा सुखद जीवन जीना चाहते हैं! हम एक ऐसा जीवन चाहते हैं जिसमें चारों तरफ सुख ही सुख हो दुख का नामोनिशान ना हो।

    पर वास्तविकता बिल्कुल भिन्न होती है, हम चारों तरफ दुखों से ही घिरे होते हैं और सुख के क्षणिक पल हमें यदा-कदा मिलते रहते हैं।

    इन सुख के पलों को कैसे खींच कर और लंबा कर दिया जाए यह कैसे इन पलों को बार-बार अपने जीवन में लाया जाए इसी की जद्दोजहद में, हम में से ज्यादातर लोग जिंदगी जी रहे हैं।

    जीवन में अगर सुख और दुख का अनुपात देखा जाए तो वह कुछ ऐसा है जैसे रात्रि में आसमान में चांद और बादल, जिस प्रकार आसमान में चांद निरंतर रहता है उसकी वास्तविकता को हम झूठला नहीं सकते पर यदा-कदा बादल उसे ढक लेता है तो हमें प्रतीत होता है कि चांद कहीं गायब हो गया है।

    पर वास्तविकता में ऐसा नहीं होता चांद तो वही है बस बादल ने कुछ क्षण के उसे ढक दिया है और हममे एक भ्रम पैदा हो गई है की चांद वहां नहीं है।

    जीवन में दुख चंद्रमा की भांति है जो निरंतर हमारे साथ रहता है और सुख इस बादल की तरह है जो यदा-कदा हमारे जीवन में आता है और फिर चला जाता है पर हम इस भ्रम में जीवन जीते हैं कि यह सुख का पल हमें कुछ भी करके निरंतर चाहिए हम इस सच्चाई को देखी नहीं पाते किस सुख एक बादल की तरह है।

    जो कुछ छड़ के लिए अथवा कुछ देर के लिए ही आएगा और चला जाएगा ,पर अज्ञानता वश हम इस पल को और लंबा खींचने के प्रयास में यह सारा जीवन व्यर्थ कर देते हैं।

    इस बात को हम थोड़ा और गहराई से समझते हैं।

    आज के युग में ज्यादातर लोग सिर्फ धन के पीछे भाग रहे हैं, ऐसा क्यों? कभी पूछिए अपने आप से क्या मिल जाएगा धन से? क्या धन में सुख है?

    जी नहीं! धन से जो वस्तु हमें प्राप्त होती है ,जो नाम हमें प्राप्त होता है, उनमें सुख है यह वस्तुएं और नाम हमें धन के जरिए से मिलती है इसलिए हम धन के पीछे भागते हैं।

    जब जीवन में हमें वह वस्तुएं भी मिल जाती है वह नाम भी मिल जाता है फिर भी मनुष्य पूर्णतया: सुखी नहीं रहता जैसे वह सुख क्षणभंगुर था।

    उसकी लगभग सभी इच्छाएं पूर्ण होती गई उसने घर खरीद लिया, नौकरी पा लिया, बिजनेस कर लिया फिर भी वह दुखी क्यों है? उसे तो दुनिया का सबसे सुखी व्यक्ति होना चाहिए था।

    क्योंकि सुख ना धन में है ना धन से प्राप्त होने वाली वस्तुओं और नाम में है अगर ऐसा होता तो दुनिया का एक वर्ग कम से कम सुखी रहता हैं वह सब परमानेंट सुखी होते पर ऐसा नहीं है।

    फिर हम इस रेस में क्यों है? और अगर यह रेस सुख पाने का ही है तो फिर वास्तविक सुख कहां है? जिसे पाने के बाद यह रेस समाप्त हो जाए, जिसे पाने के बाद मन पूर्णतया संतुष्ट हो जाए , उसे अब कुछ और पाने की इच्छा ना रहे।

    जिसमें परम शांति, परम संतुष्टि, और परम ज्ञान का अनुभव हो वह ज्ञान , वह सुख कहां है?

    वास्तव में हमें वास्तविक सुख की खोज करनी चाहिए और अपनी यात्रा उस तरफ ले जाना चाहिए जहां पर वास्तविक स्थिरता है यह प्रश्न हमें स्वयं से पूछना चाहिए क्योंकि हर प्रश्न का जवाब हमारे भीतर ही हम दुनिया की सबसे बेहतरीन किताब है

    जब हम खुद से प्रश्न करने की आदत डालते हैं तो हमारा मन धीरे-धीरे उत्तर देना शुरू करता है जब हम अपने मन पर बिना किसी और के अनुभव के लेप लगाएं बस सच को देखते हुए प्रश्न करते हैं तो भीतर से वास्तविक सच निकलता है

    हमें स्वयं से प्रश्न करने का Habbit डालना चाहिए हमें अपने भीतर झांक कर देखने की जरूरत है कहीं जिस सुख को हम बाहर खोज रहे थे कहीं वह सुख व आनंद वह परमानंद हमारे भीतर तो नहीं है

    जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि में लगे कस्तूरी की खुशबू को पुरे जंगल भर ढूंढता रहता है पर वास्तविकता में उसे यह नहीं पता  होता कि  वह खुशबू स्वयं उसके अपने ही नाभि से आ रही है

    आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने, ऋषि-मुनियों ने, साधु संतों ने इस बात की गंभीरता को समझा और उन्होंने स्वयं से प्रश्न करना शुरू किया फिर उन्होंने पाया कि स्वयं को और अच्छे से जानने के लिए हमें किसी माध्यम की जरूरत है।

    तो हमारे ऋषि-मुनियों ने एक माध्यम को खोज निकाला जिससे हम अपने स्वयं की वास्तविकता जान पाए उस सुख और आनंद को वास्तविकता में अनुभव कर पाए जो हम ही हैं इसके लिए जिस माध्यम का उन्होंने निजात किया उसे ही “ध्यान या मेडिटेशन” कहा जाता है।

    ध्यान स्वयं को स्वयं से जोड़ने की एक प्रक्रिया है या यूं कह लें कि ध्यान हमें अपने आप से परिचित कराता है ध्यान के माध्यम से हम अपने भीतर ज्ञान के उस अनंत भंडार तक पहुंचते हैं और ज्ञान से हम दुख रूपी अंधकार को मिटाकर परम सुख परम आनंद का अनुभव करते हैं।

    ध्यान करने की बहुत सारे फायदे हैं जरूरी नहीं कि आप ध्यान करके परम आनंद ही प्राप्त करें या आप ध्यान आत्म साक्षात्कार के लिए ही करें।

    आप बस ध्यान करें बाकी की चीजें खुद-ब-खुद बेहतर होती जाती है आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है मन में किसी प्रकार का कोई लक्ष्य लेने की जरूरत नहीं है किसी भी प्रकार का लक्ष्य आप को ‘ध्यान’ से मटका सकता है।

    इसलिए ध्यान निस्वार्थ भाव से और मन ने बिना कोई लक्ष्य करना चाहिए।

    आजकल की जीवन में हमें ध्यान जरूर करना चाहिए इसके बहुत सारे कारण और फायदे हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक सुख प्रदान करते हैं ।

    What are 7 Benefits of Meditation in Hindi

    आइए जानते हैं कि ध्यान करने के और भी क्या-क्या फायदे है…..

    ऊर्जा का विस्तार : Energy expansion

    हमारे शरीर एक ऊर्जा से चलता है जिसे हम आत्मा या ईश्वरीय शक्ति भी बोलते हैं । ऊर्जा का बड़ा महत्व है अगर आपको इस ऊर्जा को सही प्रकार से इस्तेमाल करने आ गया तो दुनिया में आप से बड़ा पावरफुल व्यक्ति कोई नहीं है।

    इस ऊर्जा का इस्तेमाल हम दिन भर में बोलने, चलने,सोचने और दिन भर की गतिविधियां मैं खर्च कर देते हैं। इसीलिए शाम होते होते हम थक जाते हैं और फिर हमें रात में नींद की आवश्यकता होती है। नींद में हम उस उर्जा को फिर से ग्रहण करते हैं और दूसरे दिन फिर से इस ऊर्जा को खर्च कर देते हैं।

    क्या हो अगर हम इस ऊर्जा का और विस्तार कर दें तो हम ज्यादा एक्टिव रहेंगे हमारे पास ज्यादा ऊर्जा रहेगी और हम ज्यादा शक्तिशाली महसूस करेंगे क्योंकि हमारे बोलने की, सोचने और समझने की क्षमता का विस्तार हो जाएगा।

    ध्यान करने से यह ऊर्जा धीरे-धीरे हमारे अंदर ऊपर की ओर बढ़ने लगती है और गतिशील हो जाती है।

    यह जादू नहीं है यह एक विज्ञान है: It’s Not a Magic it’s a science

    बहुत सारे लोगों के मन में है ‘ध्यान’ शब्द सुनते ही यह आता है कि यह कोई जादू है जिससे हम बहुत कुछ शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं लोग ऐसा इसलिए सोचते हैं क्योंकि उन्होंने ध्यान को कभी जाना ही नहीं है।

    उन्होंने हमेशा इसके बारे में दूसरों से सुना है या तो टीवी पर कहीं देखा है या फिर सोशल मीडिया से कहीं कुछ पढ़ लिया है पर वास्तविकता में उन्हें खुद कोई एक्सपीरियंस नहीं है।

    ध्यान कोई जादू नहीं है यह एक विज्ञान है एक ऊर्जा का विज्ञान, उर्जा को सही दिशा में ले जाने का विज्ञान।

    हमारा ऊर्जा निरंतर नीचे की ओर बहता है पर जब हम इस ऊर्जा को नियंत्रित करके ऊपर की ओर भेजने लगते हैं तब हमारे शरीर में केंद्रित सारे चक्र खुलने लगते हैं और धीरे-धीरे यह सारे चक्र जब खुल जाते हैं तो हमें असीम आनंद और असीम ज्ञान की प्राप्ति होती है।

    यह कोई भी कर सकता है इसके लिए सही गुरु सही प्रशिक्षण और निरंतर अभ्यास की जरूरत है।

    आपकी याददाश्त में सुधार करता है: Improves your memory

    रोजाना 1 घंटे या उससे ज्यादा ध्यान करने से हमारा मन शांत होता है जिससे हम कोई भी चीज जब पढ़ते हैं देखते हैं या याद करने की कोशिश करते हैं तो हमें बहुत आसानी से याद हो जाती है और हमें बहुत सारे पुरानी बातें भी याद रहती है।

    जीवन स्थिर और शांतिपूर्ण हो जाता है : Life Becomes Stable and Peaceful

    हर व्यक्ति जीवन में स्थिरता और शांति चाहता है पर अगर हमारा मन दिन भर इतने सारे विचारों से भरा रहेगा तो हम जीवन में स्थिरता और शांति कैसे ला पाएंगे।

    इसलिए हमें अपने मन के अंदर से इन अनचाहे विचारों को बाहर करना होगा हमारा मन बहुत ही शक्तिशाली वह इतनी आसानी से शांत नहीं होने वाला और जब मन शांत नहीं रहेगा तो हमारे जीवन में सुख, शांति, आनंद और स्थिरता कभी नहीं आ सकती।

    इसलिए हमें ध्यान करके अपने मन को एकाग्र करना चाहिए जब मन एकाग्र होने लगता है तो हम पाएंगे कि हमारे मन में अनचाहे विचार पहले से कम आने लगे और हम पहले से अपने जीवन में स्थिरता और शांति महसूस करने लगेंगे।

    किसी भी कठिनाई को आसानी से संभाला जा सकता है: Any Difficulty Can Be Handled Easily

    जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं पर मुश्किल तब आती है जब हम इन उतार और चढ़ाव के लिए तैयार नहीं होते! इन उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए हमारे पास एक मजबूत मन होना अति आवश्यक है।

    एक कमजोर मन हमेशा छोटी सी भी समस्याओं से घबरा जाता है और समस्या को सुलझाने के बजाय उससे दूर भागने लगता है जिससे समस्या और बड़ी और गंभीर रूप ले लेती है।

    ध्यान करने से सबसे अच्छी बात यह होती है कि हमारा मन मजबूत होने लगता है यह बात मैं अपने और दूसरे लोगों के अनुभव से बोल रहा हूं।

    पहले जिस situation से घबरा जाते थे अगर हम निरंतर ध्यान करते हैं तो हम पाएंगे कि अब उस छोटी-छोटी समस्याओं से हम घबराते नहीं बल्कि उनका सामना करते हैं।

    हमारे अंदर एक confidence build up होता है जिसे हम महसूस करते हैं और एक सकारात्मक ऊर्जा अपने भीतर महसूस करते हैं इसलिए ध्यान जरूर करना चाहिए।

    प्रेम, दया और करुणा: Love Kindness and Compassion

    ध्यान का निरंतर अभ्यास करने से जीवन में स्थिरता सुख शांति जीवन की समझ और शरीर में ऊर्जा का विस्तार होता है एक बार जब मन मन शांत और स्थिर होने लगता है व्याकुलता समाप्त होने लगती है तो हम अपने मूल प्रकृति को जानने लगते हैं।

    हमारा मूल प्रकृति है प्रेम दया और करुणा, मतलब अगर हम दुनियादारी के लेप को हटा दें और मन की व्याकुलता को शांत करते हैं तो उसके बाद जो बचता है वह प्रेम दया और करुणा ही है।

    हमारा मूल रूप यही है भले थोड़ा-थोड़ा सा ही पर जब हम ध्यान करने लगते हैं तो हम अपने भीतर इन भावनाओं को अपने व्यवहार में लाने लगते हैं ।

    हम दूसरे के दुख को पहले से ज्यादा महसूस करते हैं और दूसरों को खुश देखकर हम बहुत खुश होते हैं और जब हम एक बार इस प्रकार से जीवन जीने लगते हैं तो हमारे जीवन में प्रकृति सुख शांति भर देती है इससे हमारा जीवन एक सफल जीवन बन जाता है।

    समभाव मैं रहना Equanimity

    भगवान गौतम बुद्ध ने हजारों वर्ष पूर्व ही इस बात को समझ लिया था की जीवन सुख और दुख का जंजाल है।

    जो व्यक्ति इन दोनों स्थितियों को को भोगता है मतलब सुख के छड़ में बहुत ज्यादा सुखी हो जाता है दुख के क्षणों में बहुत ज्यादा दुखी हो जाता है वह व्यक्ति इस धरती पर सिर्फ दुख ही भोक्ता है क्योंकि सुख भी कुछ समय के बाद दुखी देता है।

    इसलिए भगवान बुद्ध ने ‘विपश्यना ध्यान’ खोज कर निकाला और लोगों को बताया कि हमें हमेशा समता भाव में रहना चाहिए मतलब हमें भोक्ता भाव से ऊपर उठकर दृष्टा भाव को अपनाना चाहिए।

    यहां पर कहने का मतलब यह है कि हमें न सुख भोगना चाहिए न दुख हमें हर स्थिति में समता भाव में रहना चाहिए।

    उन्होंने सिर्फ दुख का कारण ही नहीं खोजा उन्होंने इसका निवारण भी बताया कि समता भाव में रहे कैसे विपश्यना ध्यान के निरंतर अभ्यास से धीरे-धीरे मनुष्य समता भाव में रहने लगता है।

    मनुष्य समाज में रहते हुए भी समाज के सभी कर्म करते हुए भी समता भाव में रहने लगता है वह परमानंद में रहता है और अपने कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा से निभाता है।

    इसलिए हमें भी इस भोक्ता भाव से निकलकर इस तरह का समता भाव में रहने का अभ्यास करना चाहिए।

    समापन से पहले…..The power of meditation: Benefits of meditation in Hindi

    आखिर में मैं बस यही कहना चाहूंगा कि आप अपने जीवन में जहां पर भी है, जिस भी स्थिति में है, जिस भी प्रदेश में है, अपने सारे सामाजिक कार्य को करते हुए, आपको रोजाना एक घंटा ‘ध्यान का अभ्यास’, मन को एकाग्र करने का अभ्यास, मन को शांत करने का अभ्यास, ऊर्जा का विस्तार करने के लिए या मन को समता भाव में पुष्ट करने के लिए जरूर करना चाहिए।

    ध्यान एक बहुत ही बढ़िया विज्ञान है इस अपने जीवन में लाइए ,खुद भी सीखिए और दूसरों को भी इसे सीखने के लिए प्रेरित करें।

    धन्यवाद !
    सबका भला हो! सबका मंगल हो!

    ध्यान से ज्ञान तक !

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