अगर आप ध्यान (meditation) में रूचि रखते है और ध्यान करना/सीखना चाहते है, तो यह article आपके लिए ही है।
ध्यान क्या है? ध्यान क्यों-कब और कैसे करना चाहिए ? ये सब बाते हमने अपने पिछले article में डिटेल्स में step by step बताया है! पर आज हम discuss करेंगे ‘ध्यान शुरू करने के 2 सबसे सरल तरीके’ के बारे में।
आइये जानते है best meditation techniques for beginners! —
ध्यान करने के 112 तरीके (meditation techniques) बताये गए है पर नए-नए साधक के लिए ये चुनाव करना बहुत मुश्किल हो जाता है की वो कौन से तरीके से शुरुआत करे । तरीका (meditation techniques) ऐसा होना चाहिए जो सरल हो, साथ ही साथ सही परिडाम देने वाला भी हो ।
आइये जानते है–
आज जिस ध्यान प्रडाली (meditation techniques) के बारे में बात करेंगे वो 2600 वर्ष पूर्व भगवन गौतम बुद्ध द्वारा स्वम कठिन तपस्या करके खोज निकाला गया था । यह ध्यान प्रडाली बहुत ही सरल है और समाज के हर वर्ग के लोगो के लिए है ।
यहाँ हर वर्ग से मतलब है जो लोग गृहस्थ है वो लोग भी इस ध्यान प्रडाली के माध्यम से सुख-शांति, ज्ञान और परम आनंद की अनुभूति करके मोक्ष प्राप्त कर सकते है ।
इस ध्यान का नाम है विपश्यना ध्यान। विपश्यना का अर्थ होता है चीजों को बस वैसे देखना जैसा वो है (वास्तविक स्वरुप) बिना उसमे कोई परिवर्तन किये बिना (see the things as they really are).
इस ध्यान को सीखना और समझना बहुत ही सरल है। विपश्यना ध्यान मुख्यता दो भागो में बाटा गया है।
(1) आनापान (2) विपश्यना ।
अगर आप ध्यान सिखने के लिए एकदम नए है तो आपके लिए आनापान ध्यान सबसे बढ़िया choice है.
आना पान ध्यान से हमारा मन धीरे-धीरे शांत होने लगता है ध्यान केंद्रित होने लगता है विचार कम होने लगते हैं ध्यान सीखने के लिए और ध्यान की गहराई में उतरने के लिए आनापान ध्यान सबसे बढ़िया ध्यान है
आइये आनापान ध्यान शुरू करते हैं–
आप कोई भी meditation करिए जगह का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। ध्यान करने के लिए साफ सुथरी जगह और शांत वातावरण (relaxed atmosphere) का होना अति आवश्यक होता है । इसलिए ध्यान करने का अच्छा समय भी या तो भोर का या फिर रात्रि का बताया जाता है क्योंकि दोनों ही समय वातावरण शांत होता है।
ध्यान (meditation) करते समय हमें ढीले ढाले कपड़े पहनने चाहिए बहुत कसे हुए कपड़े पहन कर ज्यादा देर तक ध्यान नहीं किया जा सकता हम comfortable फील नहीं करते हैं और हमारा ध्यान भटकता है इसलिए वस्त्र हमेशा Loose fitting होने चाहिए
बहुत लोगों के मन में यह विचार उठता है कि ध्यान हमेशा किसी विशेष आसन में करना चाहिए पर ऐसा नहीं है ध्यान करने के लिए किसी विशेष आसन की जरूरत नहीं होती।
हमें पालथी मारकर किसी भी आसन में जैसे भी हम बिना किसी परेशानी के कुछ देर तक बैठ सकते हैं बैठना चाहिए चाहे तो हम किसी कुर्सी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ।
हमें अपने दोनों हाथों के उंगलियों को आपस में फसा लेना चाहिए शरीर में किसी प्रकार का अकड़न नहीं होना चाहिए शरीर को हल्का और ढीला रखना चाहिए।
ध्यान (meditation) करने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे हमारा सर सीधा होना चाहिए गर्दन सीधी होनी चाहिए कमर सीधी होनी चाहिए।
आप अपने घर के किसी भी कोने को ध्यान करने के लिए चुन सकते हैं इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि ध्यान (meditation) हमेशा बंद जगह पर ही करें शुरू में खुले जगह पर ध्यान करने को avoid करें।
अब आते हैं सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर वह हमारी आंखें ध्यान में हम अक्सर देखते हैं कि लोग आंख बंद करके ध्यान करते हैं।
इसके पीछे एक वजह है आंखें मन का द्वार होती हैं आंखों से देखा हुआ कोई भी चीज मन में विचार का रूप लेता है और जब तक मन में विचार चलेगा हम ध्यान लगाने में असमर्थ होंगे।
आंखें बंद हो जाने से हम बाहरी दुनिया से disconnect हो जाते हैं और तभी हम भीतर की ओर यात्रा आरंभ कर सकते हैं इसलिए ध्यान करते वक्त हमें हमेशा अपनी आंखों को बंद रखना चाहिए।
हम जैसे ही अपनी आंखों को बंद करते हैं हमारा मन अनेकों विचारों के साथ इधर-उधर भागने लगता है। हमारे मन में अनेक प्रकार के विचार आने लगते हैं और हम ना चाहते हुए भी उन विचारों के साथ चिपक जाते हैं और कहीं दूर निकल जाते हैं |
ध्यान में हमें विचार मुक्त होना होता है तभी हम उस शून्यता का अनुभव करते हैं जो हमारे भीतर है इसलिए हमें अपने मन को अपने प्राकृतिक सांसो पर लगाना होता है |
जब हम अपने मन को प्राकृतिक सांसो पर लगाते हैं और देखते हैं कि हमारा साँस किस नासिका से आ रहा है और किस नासिका से जा रहा है बिना कोई छेड़छाड़ किए, बिना उसमें कुछ जोड़ें या घटाएं ,बस दृष्टा भाव से अपनी सांसो को देखते है।
फिर धीरे धीरे हमारा मन एकाग्र (concentrate) होने लगता है विचार कम होने लगते है और हमारा ध्यान लगना आरम्भ हो जाता है ।
प्राकृतिक सांसे वह सांसे होती है जो बिना किसी प्रयास के 24 घंटे चलती रहती है और इसका हमें आभास भी नहीं होता है।
हमे किसी प्रकार का प्राणायाम या योग (yoga) नहीं करना है क्योंकि प्राणायाम में हम सांसो को खुद से नियंत्रित करते हैं पर यहां हमें खुद से चल रहे हैं सांसों को बस दृष्टा भाव से देखना है उसे नियंत्रित नहीं करना है।
दृष्टा भाव से देखने का तात्पर्य होता है कि जैसे दो लोग आपस में बात कर रहे हो और तीसरा व्यक्ति बस उन दोनों की बातें सुन रहा है।
उसी प्रकार जब हमारी सांसे चल रही हो तो बस हमें उस तीसरे व्यक्ति की तरह बैठकर बिना कुछ किए बस सांसो के आवागमन को महसूस करना है किस नासिका से आ रहा है और किस नासिका से जा रहा है और आते समय और जाते समय वह हमारे ऊपर वाले होठ के किस हिस्से को छू रहा है बस इतना ही जानना होता है।
एक और उदाहरण से समझते हैं जैसे हम theater में बैठकर कोई movie देखते हैं पर मूवी से जुड़ नहीं जाते बस बैठ कर मूवी देखते हैं दृष्टा भाव से उसी प्रकार हमें सांसो को बस बैठकर देखना है।
इस प्रकार ध्यान का निरंतर अभ्यास करते रहने से धीरे धीरे विचार कम होने लगते हैं और हमारा ध्यान सांसो पर टिक जाता है।
निरंतर अभ्यास करते करते हम पाते हैं कि एक समय हमारे मन में कोई विचार नहीं रह जाता और हम विचार सुण्या (zero) की उस परमानंद अवस्था को अनुभव करते हैं जो हमारे भीतर पहले से ही है पर उसका अनुभव हमें ध्यान करने के बाद ही होता है।
धीरे-धीरे हमारे ध्यान और भी गहरा होते जाता है और जीवन के और भी पहलुओं से पर्दा हटते जाता है ध्यान करने से बहुत प्रकार के शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं हमें ध्यान जरूर करना चाहिए।
दिन में कम से कम एक घंटा ध्यान (meditation) जरूर करना चाहिए ध्यान करने से हम धीरे-धीरे चिंता मुक्त होते होने लगते हैं और एक समय हम ध्यान से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।
ध्यान से अनगिनत लाभ है ध्यान अवश्य करें, छोटे हो या बड़े ध्यान सभी को करना चाहिए हर वर्ग के लोगों को इससे लाभ ही मिलता है।
जब व्यक्ति आनापान ध्यान में धीरे धीरे निपुण होते जाता है तब उसे ध्यान को एक दूसरे स्तर पर ले जाने की जरूरत होती है।
विपस्सना ध्यान (vipassana meditation techniques) एक ऐसा ध्यान है जो हमे मन की गहराइयों तक ले जाता है और हमारे अंदर से विकारों को जड़ से निकाल देता है विपस्सना ध्यान सीधे जड़ से कार्य करता है यह ध्यान अच्छे से सीख लेने से धीरे धीरे हम विकार मुक्त हो जाते हैं।
काम,क्रोध,लोभ मोह और ईर्ष्या यह सब हमारे विकार है। हमारे जीवन में बाधाएं डालते रहते हैं जिस से प्रभावित होकर हमारा जीवन दुख और अंधकार के कुएं में गिर जाता है और हमारे पास इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखता और यह बहुमूल्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ नष्ट हो जाता है।
पर जब हम विपस्सना ध्यान (vipassana meditation) सीख लेते हैं और इसका सही अभ्यास करते हैं तब हम पाते हैं यह हमारे पांचों दुश्मन काम, क्रोध ,लोभ, मोह और ईर्ष्या यह सब जड़ से समाप्त होने लगते हैं।
इन पांचों दुश्मन को परास्त करके वास्तव में हम सही जीवन जीते हैं और गुलामी से आजाद हो जाते हैं वास्तविक आजादी पाते हैं परम आनंद को 24 घंटे अनुभव करते हैं।
विपस्सना ध्यान (vipassana meditation) बहुत ही संवेदनशील ध्यान है इसे सही तरीके से समझना और करना होता है। विपस्सना ध्यान में हम शरीर की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं। हमारे शरीर में प्रति क्षण कोई ना कोई संवेदनाएं उत्पन्न होती हैं हमें उन संभावनाओं को देखना होता है।
पर यह तो बात हुई सिर्फ ऊपर-ऊपर से क्योंकि विपस्सना ध्यान (vipassana meditation) बहुत ही संवेदनशील ध्यान है इसलिए इस ध्यान को सही गुरु के संरक्षण में ही सीखना चाहिए जरा सी गलती से आप इस ध्यान के लाभ से वंचित रह जाएंगे |
इसलिए मैं आपको recommend करता हूं कि आपको विपस्सना ध्यान (vipassana meditation) विपस्सना ध्यान केंद्र पर ही जाकर सीखना चाहिए इसके लिए किसी और माध्यम का सहारा नहीं लेना चाहिए विपस्सना ध्यान फ्री में पूरे भारत में ही नहीं विश्व भर में सिखाया जाता है एक बार आप इस ध्यान को सीख लीजिए उसके बाद घर पर इसका निरंतर अभ्यास करते रहिए
इस आर्टिकल को लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि व्यक्ति को ध्यान जरूर करना चाहिए क्योंकि इससे अनेकों लाभ है और हर व्यक्ति को ध्यान सीखकर ही करना चाहिए। क्योंकि गलत प्रकार से किया गया ध्यान आपको कभी लाभ नहीं देगा और आपका परिश्रम व्यर्थ ही जाएगा इसलिए ध्यान करें और सही प्रकार (meditation techniques) से करें।
ध्यान से ज्ञान तक!
मंगल हो,
धन्यवाद!
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