एक साधु-सन्यासी के लिए जीवन एक गृहस्थ के तुलना में आसान होता है। एक सन्यासी हर प्रकार के जिम्मेदारियों से मुक्त होता है उसे सिर्फ अपने भोजन और आत्मज्ञान की खोज होती है।
एक गृहस्थ का क्या ! एक गृहस्थ के ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं और उनको Balance करके जीना, जीवन जीने की वास्तविक कला है।
एक गृहस्थ को कई प्रकार की जिम्मेदारियों से होकर गुजरना होता है, पर वास्तविकता तो यह है एक गृहस्थ को या एक सामाजिक व्यक्ति को यह कौन बताए की जीवन में बैलेंस कैसे बना कर चलना है।
मतलब उसके जीवन की प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए और कितनी होनी चाहिए। अगर कोई सामाजिक व्यक्ति या गृहस्थ अपने सभी प्राथमिकताओं को सही तरीके बैलेंस करके जीवन में चले तो जीवन सुख और आनंद से भरा होता है। उस गृहस्थ का जीवन किसी साधु सन्यासी से कम नहीं होता।
वह अपने सभी कर्तव्य को पूरा करते हुए जीवन का आनंद लेता है क्योंकि उसे अपने कर्तव्य को बैलेंस करना आ गया है।
आमतौर पर यह हम यह कह सकते कि 100 में से 98% लोग अपने जीवन के प्राथमिकताओं को जान ही नहीं पाते और अनजाने में सिर्फ कुछ ही बातों को प्राथमिकता देकर जीवन जीते हैं और बर्बाद कर लेते हैं।
जिससे पूरा जीवन सिर्फ तनाव (anxiety),दुख और अकेलेपन के अलावा और कुछ भी नहीं रहता।
अगर एक साधारण उदाहरण ले तो जब एक बच्चा पैदा होता है तो उसे बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि उसे अच्छी पढ़ाई करनी है ताकि उसे अच्छा career मिल सके ताकि उसे अच्छा income मिल सके ताकि उसे वह सुख सुविधाएं उसे मिल सके जिसका अंतिम (ultimate) लक्ष्य सुख है और मानसिक शांति है,(ऐसा लोग सोचते हैं)।
तो वह बच्चा धीरे-धीरे जब बड़ा होता है तो एक ही दिशा में सोचने लगता है कि उसे कितना जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन एकत्रित करना है क्योंकि उसे लगता है कि ज्यादा से ज्यादा धन एकत्रित करूंगा तो ज्यादा सुखी रहूंगा।
क्योंकि समाज के ज्यादातर लोग ऐसा ही कर रहे हैं पर वह इस सच्चाई को नजरअंदाज कर देते है कि समाज के ज्यादातर लोग अपने इसी लक्ष्य के कारण आज दुखी है। उसे लगता है यह लोग दुखी है मैं थोड़ी दुखी रहूंगा।
इसी चक्कर में वह अपना जीवन बस धन के बारे में सोचते-सोचते और उसी के लिए कार्य करते-करते बर्बाद कर देता है।
फिर उस व्यक्ति की साथ भी वही सब घटनाये घटित होती है जो समाज के बाकी लोगों के साथ होता आ रहा है। वह भी तनाव (anxiety),अकेलापन और दुख के जंजाल में फंस जाता है।
आखिर हमें कौन बताये कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए जिससे हम वास्तविक सुख चैन और आनंद प्राप्त कर सकें।
जीवन को पांच बातो के साथ बैलेंस करके रखना चाहिए। अगर यह पांच बातें हमने बैलेंस करना सीख लिया, तो हमारा जीवन एक सफल जीवन होगा।
अब आइए जानते हैं – उन पांच बातो को किस तरीके से बैलेंस करके रखना है और वह पांच बातें क्या है !
हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है हम उसे सबसे पहले रखते हैं। अगर हम ध्यान से देखेंगे तो हम पाएंगे कि हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज हमारा शरीर है।
अगर हमारे शरीर में कोई दिक्कत (problem) आ जाए या कोई बीमारी आ जाए तो हमारा कमाया हुआ सारा धन ,सारा नाम ,सारे रिलेशन सब हमें बेकार लगते हैं।
हमें लगता है कि सब हम से ले लो और हमारे शरीर की वह पीड़ा समाप्त कर दो। हमारा शरीर बेहतर रहता है, स्वस्थ रहता है तो हम धन भी कमा सकते हैं नाम भी कमा सकते हैं रिलेशंस भी हमारे अच्छे होने लगते हैं और हम वह सब प्राप्त कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।
इसका मतलब कि हमारा शरीर सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए हमें अपने शरीर को सबसे ज्यादा महत्तव (importance) देना चाहिए।
दूसरी बात जिस पर हमें शरीर के बाद ध्यान देना चाहिए वह है हमारे रिलेशंस। रिलेशनशिप्स को बैलेंस करके रखना बहुत जरूरी होता है। अगर आप का रिलेशन घर में या बाहर में लोगों के साथ अच्छा नहीं है तो आप हमेशा मानसिक तनाव में रहेंगे।
आपके बनते हुए काम भी बिगड़ने लगेंगे आपको रिलेशनशिप में हर व्यक्ति को थोड़ा-थोड़ा समय जरूर देना चाहिए और उनका महत्तव (importance) भी समझना चाहिए।
जैसे अगर कोई व्यक्ति शादीशुदा है और साथ ही वह व्यापार भी करता है या नौकरी भी करता है तो उसे अपने घर में अपने वाइफ को भी थोड़ा समय निकालकर जरूर देना चाहिए । उसे थोड़ा समय अपने मां-बाप की सेवा में भी लगाना चाहिए थोड़ा समय अपने दोस्तों को भी देना चाहिए थोड़ा समय अपने बच्चों को भी देना चाहिए इस प्रकार उसे अपने सारे रिलेशनशिप को बैलेंस करके रखना चाहिए।
सिर्फ एक चीज पर केंद्रित हो जाने से उसके बाकी सभी चीजें बर्बाद हो सकती है इसलिए शरीर के बाद जो दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जिसे मनुष्य को महत्तव (importance) देना चाहिए वह है उसके relationships ♥
अब आते हैं तीसरे नंबर पर जिसे हमें महत्व देना चाहिए वह है हमारा करियर (Career/Money)
शरीर का स्वास्थ्य और रिलेशनशिप को बैलेंस करते हुए हमें अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए हमें अपना करियर बनाने में अपना समय लगाना चाहिए। हमें नई नई चीजें सीखनी चाहिए। हमें गलत तरीके से अपना करियर
बनाना गलत तरीके से धन कमाने से बचना चाहिए।
यहां पर कहने का मतलब यह है कि जो लोग अपने जीवन का चरम और परम लक्ष्य धन कमाना ही बना लेते हैं उन्हें समझना चाहिए कि धन कमाना हमारे जीवन का तीसरे नंबर का लक्ष्य है हमारा पहला लक्ष्य हमारा शरीर और दूसरा लक्ष्य हमारा रिलेशनशिप है।
धन कमाना भी जीवन यापन के लिए अति आवश्यक है इसलिए हमें अपने करियर पर भी ध्यान देना चाहिए। सिर्फ धन कमाना सिर्फ धन के पीछे भागना यह बिल्कुल ही गलत बात है।
जो लोग ऐसा करते हैं उनका लाइफ अस्थिर (unbalance) हो जाता है जिसके कारण आज ज्यादातर लोग दुख, तनाव, अशांति, ईर्ष्या और क्रोध से भर चुके हैं।
जो लोग इस सत्य को जान चुके हैं की लाइफ को बैलेंस करके चलना चाहिए थोड़ा-थोड़ा समय हर चीज को देना चाहिए वह लोग सुखी और आनंदित जीवन जीते हैं।
जीवन में एक समय के बाद जब हमारे पास पर्याप्त धन होता है ,
(अब यहां पर मैं बता देना चाहता हूं पर्याप्त धन की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है इसलिए हमें निर्धारित कर लेना चाहिए कि हमारी इनकम कितनी होगी कि हम आराम से जीवन व्यतीत कर सकते हैं
क्योंकि अगर हम धन के इस चक्कर में फस गए, इस लालच में पड़े तो फिर हम इससे कभी नहीं निकल पाएंगे इसलिए हमें जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए कि कितना धन कमाने से हमारे जीवन सुख में व्यतीत हो सकता है )
अगर कोई व्यक्ति अपने बनाए गए लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो उसे धन कमाने के इस चक्रव्यूह से बाहर निकल जाना चाहिए। उसे जीवन के बचे हुए और दो लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए जिससे जीवन में बैलेंस बना रहे।
महत्वपूर्ण बात : अगर व्यक्ति इतना धन नहीं कमा पाता जितना अपना लक्ष्य बनाए रखा है तो भी उसे निराश होने की जरूरत नहीं है जो है, जितना है, पहले उस में खुश रहने का प्रयास करते रहना चाहिए और जीवन के दूसरे बचे लक्ष्यों पर भी ध्यान देते रहना चाहिए नहीं तो जीवन फिर से अस्थिर (unbalance) हो जाएगा।
इस समाज से हमने बहुत कुछ प्राप्त किया है। इस प्रकृति से हमने भोजन, हवा ,पानी और भी बहुत कुछ प्राप्त किया है।
एक समय के बाद जब हमने अपने जीवन में पर्याप्त धन कमा लिया है या कमा रहे हैं तो उसके बाद हमें समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझते हुए समाज के उन वर्गों की मदद करनी चाहिए जो अभी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है।
हमें आर्थिक के साथ-साथ शारीरिक मदद भी, मतलब जितना हो सके अपने शरीर से भी उन लोगों की मदद करनी चाहिए और साथ ही जितना हो सके अपने वाणी से ,अपने व्यवहार से लोगों की मदद करनी चाहिए।
हमें प्रकृति के लिए कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। प्रकृति से हमें बहुत कुछ प्राप्त हुआ है तो हमें प्रकृति के लिए कुछ करना चाहिए। हमें पेड़ लगाना चाहिए ,हमें पानी बचाना चाहिए ,हमें जीव जंतुओं को भोजन कराना चाहिए ,उनकी सेवा करनी चाहिए यह सब भी हमारी जिम्मेदारी है।
हम इनसे मुंह नहीं मोड़ सकते हैं। हमें इनको भी लाइफ में बैलेंस करके चलना चाहिए। पर आज के समय में जो लोग अज्ञानता के कारण सिर्फ धन कमाने के चक्कर में पड़ गए हैं उन्हें अपने बाकी के जिम्मेदारियां नहीं दिखती।
आप ध्यान से देखेंगे तो वही लोग सबसे ज्यादा दुखी है जिन्होने सिर्फ अपने जीवन के एक या दो बातो को ही महत्व दिया है और बाकि सब बातो को नजरअंदाज करते आये है। जिसके कारण से उनका जीवन व्यर्थ और अंधकार में ही रहता है।
व्यक्ति जब अपने शरीर को स्वस्थ रखने लगता है अपने रिश्तो को अच्छा बनाए रखता है आर्थिक रूप से भी सुदृढ़ (strong) और संपन्न होने लगता है और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर उसके लिए भी contribute करना शुरू कर देता है,
तो उसका व्यक्तिगत जीवन सुख से भर जाता है क्योंकि उसका जीवन एक बैलेंस जीवन है। उसने थोड़ा-थोड़ा समय हर चीज को दिया ।
उसने 24 घंटे में कुछ समय अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिया कुछ समय अपने रिश्तो को दीया कुछ समय काम करके धन कमाने के लिए दिया फिर कुछ समय उसने समाज में किसी भी प्रकार से आर्थिक व शारीरिक मदद करके contribute किया उस व्यक्ति का जीवन सुखमय और सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
यहां पर एक बात की अभी भी कमी है। जो व्यक्ति इन चारों चीजों को बैलेंस कर लेता है तब व्यक्ति को अपने भीतर की ओर देखने की जरूरत है। उसे आत्म निरीक्षण (Self inspection) करने की जरूरत है। वो जीवन में क्या करने आया है ?
उसे सोचने की जरूरत है यह जीवन क्या है? यह प्रकृति क्या है? यह ब्रह्मांड क्या है? क्यों ऐसा है? यह जीवन और मरण क्या है? उसे आत्मज्ञान की तरफ बढ़ने की जरूरत है, बिना आत्मज्ञान के उसका जीवन कभी सफल नहीं हो सकता।
व्यक्ति को खुद के अंदर झाक के देखने की जरुरत है। व्यक्ति अपने सभी चारों जिम्मेदारियों को भली प्रकार निभाते हुए उनको बैलेंस रखते हुए जब कुछ समय खुद के लिए निकालता है तो उसे आत्म निरीक्षण करना चाहिए।
उसे अपने बारे में क्या सच्चाई है, जानने की जरूरत है।वह कैसे सोचता है ,उसका मन कैसे काम करता है, उसका मन क्यों उसके नियंत्रण में नहीं है, मन क्या है? शरीर क्या है ?इस प्रकार से उसे खुद को Discover करने की जरूरत है।
इसलिए व्यक्ति का पांचवा लक्ष्य स्वयं की खोज होनी चाहिए। स्वयं की खोज ही आत्मज्ञान है और आत्मज्ञान से ही जीवन के रहस्य खुलते हैं,जीवन का उद्देश्य पता चलता है।
व्यक्ति जब खुद को खोजने की राह पर थोड़ा-थोड़ा समय देना शुरू करता है तो उसका मन एक साइंटिस्ट की तरह काम करने लगता है वह बहुत कुछ देखता है, जिसे उसने पहले अनुभव नहीं किया होगा।
आत्मज्ञान अपने आप में ही एक बहुत बड़ा विषय है इसलिए मैं इस post को और बड़ा नहीं करना चाहता।
मेरा उद्देश्य सिर्फ यह है कि हम जान सके अगर हम शरीर, रिलेशनशिप ,करियर ,सोशल रिस्पांसिबिलिटी ,एंड सेल्फ रिलाइजेशन , इन पांचो बातो को इसी क्रम में शुद्धता के साथ ले कर, जीवन में आगे बढ़े तो हमारा जीवन एक बैलेंस जीवन और एक सफल जीवन बनने से कोई नई रोक सकता
यह बातें सिर्फ कहने के लिए नहीं है। कोई भी व्यक्ति अगर इन पांचों चीजों को अपने जीवन में सही तरीके से लेकर चलता है तो उसका जीवन एक सफल यात्रा कहलायेगा।
धन्यवाद!
ध्यान से ज्ञान तक !
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